Chhatrapati शिवाजी महाराज की महान खूबियां, व उनकी कहानी

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शिवाजी महाराज

शिवाजी महाराज कि कुछ चोरियों से जीवन के कहानियों से हम समझेंगे कि किस प्रकार वह अपने जीवन में निडर बलवान बहादुर हुआ करते थे आप कुछ टाइम पहले की बात है जब शिवाजी जो है गद्दी पर बैठे हुए थे उनके सामने कुछ सैनिक गांव के मुखिया को पकड़ कर लेकर आ जाते हैं मुखिया जो था वह बड़ी घनी मूंछों वाला हुआ करता था एक बहुत बलवान व्यक्ति नजर आता था और आज उस पर एक विधवा की इज्जत लूटने का आरोप लगा था तो उस वक्त शिवाजी जो थे वह 14 वर्ष के थे मात्र मगर क्योंकि वह बहादुर थे मुसीबत का सामना करना जानते थे लीडर थे महिलाओं का सम्मान भी करते थे तो ऐसे में उनको गद्दी पर बिठा दिया गया था जब गांव के मुखिया को सामने लाया गया तो उन्होंने मुखिया को देखते ही अपना निर्णय सुना दिया और उन्होंने कहा कि इसके दोनों हाथ और पैर काट दो और गांव के बीचो-बीच लटका दो ऐसे कुकर्म के लिए लोगों को दिखाओ कल अगर किसी ने ऐसा किया तो क्या होगा दरअसल इस वाक्य से हमें समझ में आता है कि किस प्रकार शिवाजी महिलाओं का सम्मान करते थे और उनके सम्मान के लिए किस प्रकार खड़े रहते थे चाहे वह विधवा हो या दासी महीना का सम्मान करना ही असली मानव धर्म है



चलो दूसरी कहानी पर चलते हैं हम शिवाजी के साहस का एक और बहुत ही ज्यादा किस्सा जो है प्रसिद्ध है यह बात पुणे किए नकली गांव जो है वहां पर भयानक चीजें का आतंक बुरी तरीके से छाया हुआ था चीते ने लोगों के डर में लोगों के घर में घुसकर उनको मारा था ऐसे में पूरे गांव वालों में दहशत थी दल चीता क्या करता था अचानक से हमला करता था और अचानक से उधर हो जाता था जिससे कोई भी उसको नहीं पकड़ पाता था अब यह किस्सा भी शिवाजी के पास जाता है


गांव वाले भाई रोते हैं कहते हैं कि हमें उचित से बचाओ महाराज ना जाने कितने बच्चों को मार दिया है ना जाने कितने लोगों को मार दिया है और हम सब तो बेकसूर हैं ऊपर से मारता भी जब जब हम सो रहे होते अब कैसे बचे तो शिवाजी ने धैर्य पूर्वक ग्रामीणों को सुना और यह आश्वासन दिलाया कि वह इस परेशानी का जल्द ही जल्द कोई ना कोई हल लेकर आएंगे
वैसे मैं शिवाजी जैसे ही अपना वचन देते हैं निकल पड़ते हैं जंगल की ओर जंगल की ओर जाते ही उनके जो सैनिक है वो डर जाते हैं पीछे जाते कि हम तो नहीं जा रहे हमें तो चीजों से डर लगता है वह कितना शक्तिशाली है हमारे भी बाल बच्चे हम तो नहीं जा रहे वैसे मैं शिवाजी जो है अकेले ही जंगल की ओर निकल जाते हैं और डटकर उस चीते का सामना करते हैं उसकी चाल समझ कर उस पर वार करते हैं और उसको आखिरकार मारी देते हैं तो यह भी बहुत दमदार किसका है जिसमें शिवाजी के साहस का जितना भी जितनी भी प्रशंसा की जाए उतना भी कम है



चली शिवाजी के बारे में एक तीसरा कितना भी सुनी लेते हैं शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था बक्सर युद्ध के लिए घरों से दूर रहते थे अपने जो घर है उसे दूर रहते थे इसलिए उन्हें शिवाजी के निडर और पराक्रमी होने का ज्यादा कुछ पता नहीं था किसी अवसर पर मिले तो मिल गए तो जान गए कि वहां शिवाजी को यह सब भी आता है वरना उनको नहीं पता था अच्छा एक अवसर पर गए शिवाजी के पिता एक हफ्ते बीजापुर के सुल्तान के दरबार में वहां पर शाह जी ने तीन बार सुल्तान को सलाम किया और शिवाजी से भी ऐसा ही करने को कहा शिवाजी अपना सर ऊपर से खड़े हैं नहीं झुकाया ऐसे में उनके पिता ने उसको बार-बार बोला कि सुल्तान है सर झुकाऊं बेटा बोल बेटा सर झुका गलत बात है यह है वह है परंतु एक मात्र 14 साल का मात्र एक बच्चा इतना निडर और इतना पराक्रमी कि उसने अपना सर नहीं झुकाया तो इसी से हमें पता चलता है कि किस प्रकार शिवाजी महाराज बलवान थे विद्वान थे और पराक्रमी थे उन्होंने ना सिर्फ सुल्तान के आगे अपना सर झुका है उन्होंने केवल सुल्तान के आगे ही अपना सर नहीं झुकाया बल्कि विदेशी शासकों के आगे भी किसी कीमत पर भी झुकने को तैयार नहीं थे शेर की तरह शाम से अपने दरबार में चलते थे और लोगों से मुकाबला करते थे



तो शिवाजी महाराज के यह किस से आपको जरूर पसंद आए होंगे और हम कोशिश करेंगे जल्दी आपके लिए और भी कई किस्से कहानियां लेकर आए

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