Thursday, December 7, 2023
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गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे-भारत में हर त्योहार को विशेष उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा, जिसे हिन्दू धर्म में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है, वह भी इसी श्रेणी में आता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर इस पावन पर्व की धूम होती है।

हिन्दू धर्म में जिस प्रकार दिवाली को जीवन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, वैसे ही गोवर्धन पूजा भी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। दिवाली पाँच दिनों तक के महोत्सव में से एक दिन है गोवर्धन पूजा, जिसमें मंदिरों में अन्नकूट का भोग तैयार किया जाता है और उसे भक्तों में वितरित किया जाता है।



2023 में दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी, जबकि गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को होगी। इस दिन गौ माता और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। 13 नवंबर 2023 की प्रतिपदा तिथि 02:56 से आरंभ होकर 14 नवंबर 2023 को 02:40 पर समाप्त होगी, इसलिए यह अवश्यक है कि महिलाएं इस समय में ही अपनी पूजा पूरी करें।

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय पशु, गौ माता और उसके बछड़े की पूजा के माध्यम से उन्हें प्रसन्न किया जाता है और उनसे कल्याणकारी आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। महिलाएं इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकृति निर्माण करती हैं, उसे फूलों से सजाकर पूजती हैं। इसके पश्चात, मिठाई का प्रसाद समर्पित किया जाता है।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको गोवर्धन पूजा के विषय में विस्तार से जानकारी दी है। आइए, अब हम जानते हैं 2023 में गोवर्धन पूजा कब और किस समय पर मनाई जाएगी।




प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर को प्रारंभ होकर 14 नवंबर पर समाप्त होगी। इस वर्ष, 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रात: 06:29 बजे से 08:43 तक रहेगा। आपको सलाह दी जाती है कि इस मुहूर्त में ही पूजा सम्पन्न कर लें, क्योंकि इसके बाद शुभ मुहूर्त का समय समाप्त हो जाएगा।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे

तिथि तारीख समय
तारीख आरंभ: 13 नवंबर 2023 02:56 अपराह्न
तारीख समाप्त: 14 नवंबर 2023 02:40 अपराह्न

गोवर्धन पूजा क्या है ?

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिवस पर महिलाएँ सुबह उठकर गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाती हैं और उसे फूलों से सजाकर पूजा करती हैं।

यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गाय के सम्मान में मनाया जाता है। अन्नकूट, जो मंदिर में बाँटा जाता है, इस दिन की विशेषता है जिसे कुछ स्थलों पर “अन्नकूट दिवस” भी कहते हैं।

मथुरा का गोवर्धन पर्वत, जिसे लोग गिरिराज जी के नाम से भी जानते हैं, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहाँ हर वर्ष अनेक भक्त उसकी 21 किलोमीटर की परिक्रमा के लिए आते हैं।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे धार्मिक विश्वास के अनुसार, इस परिक्रमा को नंगे पैर ही करना चाहिए जिससे आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। भक्तजन मानते हैं कि पूरी परिक्रमा को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि इससे आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा, जो की अधिकतर दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इस त्यौहार का महत्व इस घटना से जुड़ा हुआ है कि जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर वृंदावन वासियों को वर्षा से बचाया था। कई बार यह त्योहार दिवाली के एक या दो दिन बाद भी पड़ सकता है।

गुजरात में यह दिन नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा और दिवाली, दोनों त्योहार आमतौर पर लगभग समय में होते हैं, इसलिए इनकी कुछ परंपराएं आपस में समान होती हैं। जैसे कि दिवाली में लक्ष्मी पूजा की जाती है, ठीक उसी तरह गोवर्धन पूजा में श्रीकृष्ण की अराधना की जाती है।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस दिन भक्त भगवान से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

Govardhan Puja Muhurat In Hindi 2023 | गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व | Wonder Facts Hindi

गोवर्धन पूजा की सम्पूर्ण विधि

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस दिवस प्रातःकाल में जल्दी उत्थान कर, तेल से सिर मलकर नहाने का रिवाज पीढ़ियों से चलता आ रहा है। नहाने के पश्चात, पूजन की समग्री को संग्रहित कर, पूजा की स्थली पर जाएं। पहले, अपने कुलदेवी या कुलदेवता की आराधना करें।

फिर, श्रद्धा और भाव से गोबर से गोवर्धन पर्वत की मूर्ति तैयार करें। शास्त्रानुसार, इस मूर्ति की आकृति स्थलीय पुरुष के आराम करते हुए रूप में होनी चाहिए। इसके उपरांत, तैयार की गई मूर्ति को फूल, पत्तियाँ और छोटी-छोटी गाय की प्रतिमाओं से सजाया जाता है।

गोवर्धन पूजा के दिन पूजा की आकृति को सजाया जाता है और उसके मध्य में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्थान दिया जाता है। उस आकृति के मध्य भाग में एक गड्ढा बनाया जाता है जिसमें दूध, दही, गंगाजल और शहद मिलाया जाता है। पूजा के उपरांत, उस प्रसाद को सभी में वितरित किया जाता है।



गोवर्धन पूजा के इस अवसर पर गायों को भी विशेष तरीके से सजाया जाता है। अगर आपके आस-पास गाय हो, तो उसे स्नान कराकर सजावट से अलंकृत करें, उसके सिंघ पर घी लगाएं और उसे गुड़ खिलाएं। यह माना जाता है कि गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा से भगवान श्रीकृष्ण और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे पूजा सम्पन्न होने के पश्चात, लोग गोवर्धन के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। कुछ व्यक्ति जल की लोटा और जौ लेकर चलते हैं, जल और जौ को पूजा का हिस्सा मानते हैं।

यह मान्यता है कि इस पूजा को श्रद्धा और भक्ति से करने से व्यक्ति के जीवन से सभी अधिकार और संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे – गोवर्धन पूजा करते समय ध्यान देने योग्य बातें

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे

  • इस दिवस पर तेल से स्नान करने की प्राचीन परंपरा है।
  • इस महोत्सव पर गोबर से गोवर्धन जी का निर्माण किया जाता है जिसका आकार स्वप्न में लेटे व्यक्ति की तरह होता है।
  • गोवर्धन के मध्य भाग में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को स्थानित करके उनकी अराधना की जाती है।
  • पूजा समाप्त होने के बाद पंचामृत से भगवान को नैवेद्य अर्पित करें।
  • अंत में, गोवर्धन कथा का पाठन करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।

गोवर्धन पर्वत को 56 भोग क्यों लगाया जाता है

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे हिन्दू संस्कृति में 56 भोग की परंपरा को विशेष महत्व प्राप्त है। इस परंपरा के पीछे अनेक दिलचस्प कथाएं संजोई गई हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण प्रतिदिन आठ बार भोजन करते थे। जब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर बृज के लोगों को इंद्र के प्रकोप से बचाया, तब वे सात दिन तक भोजन किए बिना रहे थे।

इसके अनुसार, सात दिनों में आठ बार का भोजन यानी 56 भोग की परंपरा आई। इसी दिन श्रीकृष्ण को 56 भोग की भेंट चढ़ाई जाती है। इस परंपरा को अनुसरण करने से विशेष आशीर्वाद और लाभ मिलते हैं।

गोवर्धन पूजा में 56 भोग की भेंट चढ़ाने का महत्व अद्वितीय है। ईमानदारी और श्रद्धा से भगवान की उपासना से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

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क्यों है जरूरी गोवर्धन की परिक्रमा करना ?

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे गोवर्धन परिक्रमा का महत्व उसकी पूजा से कम नहीं है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को गोवर्धन की उपासना के महत्व को समझाया था। लोकप्रिय धारणा यह है कि श्री कृष्ण और राधा आज भी गोवर्धन में विचरण करते हैं। इस परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य राधा-कृष्ण के अद्भुत दर्शन को प्राप्त करना है।

शुक्ल पक्ष की एकादशी को पूर्णिमा के दिन, अनगिनत भक्त गिरिराज, अर्थात गोवर्धन की परिक्रमा के लिए प्रस्थित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस क्रियावली से राधा-कृष्ण की अनुपम कृपा व्यक्ति पर बरसती है।



गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस यात्रा की कुल दूरी 7 कोस, अर्थात प्राय: 21 किलोमीटर होती है। जो व्यक्ति इस परिक्रमा को समाप्त करता है, वह राधा-कृष्ण के अद्भुत आशीर्वाद का अनुभव करता है, और उसकी सभी इच्छाएं साकार होती हैं।

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गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे बृज के वासी, वर्षा के लिए हर साल इंद्र देव की पूजा करते थे। इस आस्था का चलन कई समय से चल रहा था। लेकिन, जिस साल श्री कृष्ण – जो विष्णु के अवतार थे – ने लोगों को इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का सुझाव दिया, उस साल तक़दीर में कुछ और ही लिखा था। भगवान इंद्र इस परिवर्तन से क्रोधित हो गए और बृज में मूसलाधार बारिश भेज दी।

पुराणों के अनुसार, जब इंद्र ने भयानक बारिश शुरू की, तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। इस आश्रय में सभी बृजवासी और उनके पशु समेट लिए गए थे और वे सभी सुरक्षित रहे। सप्ताह तक चलने वाली इस घोर वर्षा के बावजूद, गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी सुरक्षित रहे।

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस घटना को याद करते हुए, आज भी गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा भी एक महत्वपूर्ण अंग बन गई है। यह माना जाता है कि इस दिन गौ माता की पूजा से व्यक्ति को धार्मिक और सामाजिक उन्नति प्राप्त होती है।

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष स्थान है। इस महत्वपूर्ण दिवस पर हिन्दू परिवार गौ माता की विधिवत पूजा और श्रृंगार करते हैं। यह पर्व देशभर में विभिन्न ढंग से मनाया जाता है। अनेक स्थलों पर इसे घर-गृहस्थी की समृद्धि और सुख-शान्ति के लिए भी मनाया जाता है।

इस खास दिन पर भक्त श्री कृष्ण की अराधना करते हैं और उनसे जीवन में संतुलन और सुख की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इस पूजा में भगवान से सभी इच्छाओं की पूर्ति और कल्याण की कामना की जाती है।

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गोवर्धन पर्वत की कहानी से सीखने वाली बातें  

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे गोवर्धन पर्वत की कथा हमें जीवन में अहंकार और सेवा की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ प्रदान करती है। श्री कृष्ण ने इस लीला के माध्यम से दिखाया कि अधिकता और अहंकार से कोई भी बड़ा हो, उसका पतन संभव है।



गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे  जल की महत्वता तो है, परंतु इसका उपयोग अधिकार के रूप में प्रदर्शित करना गलत है, जैसे इंद्र देव ने किया।

यह गोवर्धन की कथा से सीखने के लिए प्रेरित करता है कि हमें सदैव विनम्र रहना चाहिए और अधिकता के स्तर पर पहुंचने पर भी अद्वितीयता से परहेज करना चाहिए। साथ ही, हमें हमेशा दूसरों की मदद करने और संरक्षण करने की भावना में रहना चाहिए, जैसे गोवर्धन पर्वत ने ब्रजवासियों का संरक्षण किया।

निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा 2023 कब है ? शुभ मुहूर्त और कैसे सम्पन्न करे इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको गोवर्धन पूजा संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि आप और भी किसी पूजा या त्योहार संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट ’99पंडित’ पर विस्तार से पढ़ सकते हैं।

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