हरतालिका तीज व्रत, कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कब है, पूजा का समय 2023, Hartalika Teej Vrat, Katha, Puja Vidhi in Hindi, Mahtva, Kab Hai, Date Wishes
Contents
- 1 हरतालिका तीज व्रत 2023- Hartalika Teej Vrat 2023
- 2 हरतालिका नाम क्यूँ पड़ा- Why the name Hartalika?
- 3 हरतालिका तीज महत्व – Hartalika Teej Mahtva
- 4 हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है- Hartalika Teej kyon manai jati hai
- 5 हरतालिका तीज कथा- Hartalika Teej Katha
- 6 हरतालिका तीज कथा विधि- Hartalika Teej Katha Vidhi
हरतालिका तीज व्रत 2023- Hartalika Teej Vrat 2023
हरतालिका तीज कथा- हरतालिका तीज एक हिंदू त्योहार है जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और मध्य भागों में मनाया जाता है इस दिन, विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं हरतालिका तीज कथा, पूजा विधि, मुहूर्त 2023- Hartalika Teej Vrat, Katha in Hindi
त्यौहार का नाम | हरतालिका तीज |
दिनांक | 18 सितंबर |
पूजा मुहूर्त 2023 | 18 सितंबर सुबह 6:05 बजे से 8:34 बजे तक |
हरतालिका तीज कथा इस दिन, महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और उपवास रखती हैं. वे शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं. हरतालिका तीज का त्योहार अविवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस दिन, अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से अच्छे वर की कामना करती हैं. वे शाम को भगवान शिव की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं
हरतालिका तीज का त्योहार एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है. यह त्योहार प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है यह त्योहार महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है
हरतालिका तीज मुहूर्त क्या है Hartalika Teej Muhurt
पूजा मुहूर्त | सुबह 6:05 बजे से सुबह 8:34 बजे तक |
हरतालिका तीज व्रत पूजा मुहूर्त | शाम 6:33 बजे से 8:51 बजे तक |
हरतालिका नाम क्यूँ पड़ा- Why the name Hartalika?
हरतालिका तीज का नाम दो शब्दों से बना है, “हर” और “तालिका”. “हर” का अर्थ है “हरण करना” और “तालिका” का अर्थ है “सखी” कहा जाता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति मान लिया था, तो उनकी सखियों ने उन्हें उनके पिता हिमालय के घर से हरण कर लिया था और उन्हें एक जंगल में ले गईं. माता पार्वती ने उस जंगल में भगवान शिव की तपस्या की और अंततः उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया. इसलिए, इस व्रत को “हरतालिका तीज” कहा जाता है हरतालिका तीज कथा, पूजा विधि, मुहूर्त 2023
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और मध्य भागों में मनाया जाता है. इस दिन, विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं इस दिन, महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और उपवास रखती हैं. वे शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं। हरतालिका तीज कथा
हरतालिका तीज का व्रत अविवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस दिन, अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से अच्छे वर की कामना करती हैं वे शाम को भगवान शिव की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती है। हरतालिका तीज का व्रत एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है. यह व्रत प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है. यह व्रत महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है
हरतालिका तीज महत्व – Hartalika Teej Mahtva
हरतालिका तीज एक हिंदू त्योहार है जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है यह त्योहार मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और मध्य भागों में मनाया जाता है इस दिन, विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं इस दिन, महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और उपवास रखती हैं. वे शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं हरतालिका तीज का त्योहार अविवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है.
इस दिन, अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से अच्छे वर की कामना करती हैं वे शाम को भगवान शिव की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं हरतालिका तीज का त्योहार एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है यह त्योहार प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है यह त्योहार महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है हरतालिका तीज कथा
- यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है
- यह त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना का अवसर है
- यह त्योहार अविवाहित महिलाओं के लिए अच्छे वर की कामना का अवसर है
- यह त्योहार महिलाओं के लिए शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है.यह त्योहार महिलाओं के लिए एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है
हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है- Hartalika Teej kyon manai jati hai
Hartalika Teej, Hindu calendar के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं हरतालिका Teej का व्रत अविवाहित महिलाएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती है।
हरतालिका Teej का व्रत रखने से महिलाओं को सभी सुखों और समृद्धि प्राप्त होती है इस व्रत को रखने से महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास भी मिलता है। हरतालिका Teej का व्रत एक कठिन व्रत है, लेकिन यह एक पुण्य व्रत भी है. इस व्रत को रखने से महिलाओं को सभी सुखों और समृद्धि प्राप्त होती है हरतालिका Teej का व्रत रखने के लिए महिलाएं एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं. वे नए कपड़े खरीदती हैं, घर को सजाती हैं और पूजा की तैयारी करती है।
हरतालिका Teej के दिन, महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं. वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं हरतालिका Teej का व्रत एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है. यह व्रत प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है. यह व्रत महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है हरतालिका तीज कथा
हरतालिका तीज कथा- Hartalika Teej Katha
हरतालिका तीज की कथा भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम की कहानी है. कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी उन्होंने 13 दिन तक उपवास रखा और भगवान शिव की पूजा की अंत में, भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपना पत्नी के रूप में स्वीकार किया इसलिए, हरतालिका तीज को माता पार्वती की जीत और भगवान शिव से उनके विवाह का प्रतीक माना जाता है।
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और मध्य भागों में मनाया जाता है. इस दिन, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं इस दिन, महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और उपवास रखती हैं। वे शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं। पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती है। हरतालिका तीज का व्रत एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है यह व्रत प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है. यह व्रत महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। हरतालिका तीज कथा
हरतालिका तीज कथा विधि- Hartalika Teej Katha Vidhi
हरतालिका तीज की कथा भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम की कहानी है. कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उन्होंने 13 दिन तक उपवास रखा और भगवान शिव की पूजा की. अंत में, भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपना पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसलिए, हरतालिका तीज को माता पार्वती की जीत और भगवान शिव से उनके विवाह का प्रतीक माना जाता है
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और मध्य भागों में मनाया जाता है. इस दिन, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती हैं. इस दिन, महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और उपवास रखती हैं. वे शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उन्हें भोग लगाती हैं. पूजा के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत खोलती हैं
हरतालिका तीज का व्रत एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है यह व्रत प्रेम, समर्पण और आशा का प्रतीक है. यह व्रत महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है
एक बार की बात है, हिमालय के राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने अपने सभी पुत्र-पुत्रियों को यज्ञ में आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी पार्वती को नहीं बुलाया पार्वती भगवान शिव की भक्त थीं और वे भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं उन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए कठोर तपस्या की उन्होंने 13 दिन तक उपवास रखा और भगवान शिव की पूजा की अंत में, भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपना पत्नी के रूप में स्वीकार किया हरतालिका तीज कथा
पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ और वे सुखपूर्वक रहने लगे हरतालिका तीज को माता पार्वती की जीत और भगवान शिव से उनके विवाह का प्रतीक माना जाता है यह व्रत महिलाओं को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है
FAQ
Q : हरतालिका तीज व्रत कब रखा जाता है ?
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की 3 तिथि को
Q : हरतालिका तीज व्रत 2023 में कब है ?
18 सितंबर को हरतालिका तीज है
Q : हरतालिका तीज व्रत कौन रखाता है ?
स्त्रियाँ रखती है