Thursday, June 1, 2023
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IPO Kya Hai ? How To Invest IPO-IPO की पूरी जानकारी हिंदी में

दोस्तों हम से काफी लोग Invest करना चाहते है IPO Kya Hai ।  (Initial Public Offering ) जबी कोई Company Public से  पैसे Reyse करना चाहती। तो उसे Stock Market में list होना पड़ता है उसी को हम IPO बोलते है। अब IPO के अंदर हम इंवेसे  तो करना चाहते  है लेकिन हमें से काफी लोग उसका Process समझते नहीं है।

उस के अंदर Invest भी नहीं कर पते है  हमारे काफी शेयर Question होते है की  आखिर  हमें  ये इंवेसे  करना कैसे  है या फिर ये Shares  Allotment होती कैसे है। Book building इसु क्या होता है  Fix prize इसु क्या होता है Investment Bank क्या होता है । दोस्तों शुरू से लेकर एन्ड तक जरूर पढ़े जबी आपको समझ आएगा। IPO Kya Hai ?

Hello, दोस्तों शुगत है आपको हमारे Technical Bandu में आज हम इसे Article में बताये गए की IPO Kya Hai में आपको इसे की पूरी जानकारी देनी की कोसिस करुगा। चलो दोस्तों हम बात करते है की IPO Kya Hai?

IPO तो इन शेयर Questions के जवाब आपको में इस Article में बताने  की कोशिस करुगा। तो चलिए दोस्तों की IPO Kya Hai?



IPO Kya Hai

IPO Kya Hai:अब IPO के “Process’ को समझ ने पहले हम ये देखना होगा की  ” IPOकी आखिर Requirement आती क्यों है। किसी भी Company को हमें

Funding Stages समझ नहीं होगा तो चलिए समझते है।

  • Stages 1 :- स्टेज वन में कोई कंपनी शुरू होती है Promoter Fund के साथ यानिकि Funders की Saving होती है Friends & Family Member से कुछ पैसा लेते हैं।
  • Stages 2 :- स्टेज 2 में जब Company थोड़ी Grow होती है  तो Angel Investor कुछ पैसा डालता  है।
  • Stages 3 :- स्टेज 3 में Venture Capital & PE  आजाती है। जो पैसा डालती है।
  • Stages 4 :-स्टेज 4 आजाती हिअ Finally IPO की जिसे हम बोलते है “Initial Public Offering “

Initial Public Offering में होते क्या है। “Stocks Exchange “ यानिकि “Bombay Stocks Exchange “ यहाँ फिर “National Stocks Exchange ” पर Company list हो जाती है । कुछ Investor Invest करते है उन हम Investor कहते है । अलग – अलग Types के Investor होते है। अब या पर आजाता है की IPO की Requirement होती क्यों है।

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WHY IPO?

IPO की Requirement सीदी सी बात है। कंपनी अगर पैसा रेस करना है Funds रेस करने है। तो आईपीओ के काफी अच्छा तरीका है अब ये वाली Company पिरवेटी  इक्विटी  यानि की जब तक  ये लिस्टिंग नहीं थी तो कुछ Investor ने Paisa  इरेस कर लिया था।

लेकिन अब यह ऐसे States पे आगि है जा पर ” Private Investor “ सहद उतना पैसा नहीं दाल सकते है।  अब पब्लिक की “Help “लेनी होगी। क्युकी  Public में ज्यादा इन्वेस्टर हो जाते  है Number ऑफ़ ज्यादा Investor बड़ जाते हैं।  Investor को Tag किये जा सकता है |

For Example :- Mutual Fund ,Pensan Fund इनके पास पैसा कुछ ज्यादा  होता है। तो बड़े Funds को Tag करने के लिए IPO लेकर आया जाता है। और इसके Main कारन है।

  • Expansion :-कोई भी Company Expand करना चाहती है। तो उसको ज्यादा Fund की Requirement की जरुआत होगी।
  • Pare Debt :- हो सकता है की उसने Debt या Loans लिए हो कुछ लाबेटिस हो उनको वो ख़तम करना चाहती हो तो वो भी IPO के जररीये पैसा रेस होगा।
  • Exit To Previous Investors :- जैसे पुराने Investor Angel Investor , Venture Capital &PE होते है यह हो सकता है की इन में से कुछ लोग इसे में से Exit करना चाइए। जब Stocks Exchange पे लिस्ट हो जाये।

अब हम IPO का Process समझते है? IPO के Process में सबसे पहले आता है।

  • Step 1:- कोई भी कंपनी जोबी पब्लिक इसु ले करना चाहती है। वो एक Investment Bank को Hire करती है। Investment bank  को  Merchant Bank भी बोलते है। Investment bank आखिर होते क्या है।

For Example :- ABC toys Ltd  ये वाली Company List होना चाहती है किसी Stocks Exchange पे  

Show Let XYZ Capital को Hire करती है।

अब इन्वेस्टमेंट Bank किस तारा के होते है आज की Date में जितने भी Major Bank है चाय आईसीआईसी हो एसबीआई हो एक्सिस इन सब के अपने इन्वेस्टमेंट बैंक बैंक आर्म्स भी है जो “Merchant”  भी कराते हैं या फिर आईपीओ भी लेकर आते तो आई बैंक का यह भी एक काम होता है आईपीएस लेकर आना अब कोई भी कंपनी किसी भी इन्वेस्टमेंट बैंक को हायर करना चाहती है तो वह क्या देखेगी “Reputation & Track Record “ कैसे रहा है उसका IPO से Fund रेस करने में।

“Quality of Research “ कैसी रहती है उसकी किस तरीके से प्राइस करते हैं वैल्यूएशन कैसे करते हैं कंपनी की उसके अलावा डिस्ट्रीब्यूशन कैसा है कितने इंस्टिट्यूटस्नेल के साथ टायर से है या फिर डिटेल इन्वेस्टर को कितनी  अच्छी मार्केटिंग कर सकते हैं नॉन इंस्टिट्यूट नल इन्वेस्टर को कितनी अच्छी मार्केटिंग कर सकते हैं ” Prior relationship “इसके अलावा प्रायर  रिलेशनशिप हो सकता है किसी कंपनी की कुछ प्रायर  रिलेशनशिप रही हो किसी इन्वेस्टमेंट बैंक से इसलिए कोई भी कंपनी अच्छे इन्वेस्टमेंट बैंक को हायर करेगी।



 ALLOTMENT PROCESS | अलॉटमेंट प्रोसेस

जब आईपीओ ओपनिंग क्लोज हो जाती है तो कंपनी आईपीओ का अलॉटमेंट करती है. इस प्रोसेस में कंपनी सभी इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट करती है और इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट होने के बाद शेयर स्टॉक एक्सचेंज (STOCK MARKET) में लिस्ट हो जाते हैं. स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं. जब तक शेयर, स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते हैं आप उन्हें नहीं बेच सकते हैं. एक बार जब स्टॉक मार्केट में शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो पैसा और शेयर ये दोनों इनवेस्टर के बीच एक्सचेंज होते रहते हैं |

एक बार लिस्ट होने के बाद स्टॉक मार्केट टाईमिंग (STOCK MARKET TIMING) के हिसाब से आप शेयर बेच भी सकते हैं और खरीद भी सकते हैं.

सेबी (SEBI – SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) की निगरानी में होता है सारा प्रोसेस कोई भी कंपनी जब अपना आईपीओ लाने की योजना बनाती है तो उसे सेबी के सभी नियमों का पालन करना होता है. उसे सेबी को आईपीओ लाने के कारणों से लेकर हर छोटी बड़ी बात से अवगत कराना होता है. कंपनी एक रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टेस (RED HERRING PROSPECTUS) सेबी को देती है |

इस रेड हैरिंग प्रोस्पेक्सटस में कंपनी की:–

  • बिज़नेस डिलेट (BUSINESS DETAILS)
  • कैपिटल स्ट्रकचर (CAPITAL STRUCTURE)
  • रिस्क फैक्टर (RISK FACTOR)
  • रिस्क स्ट्रैटेजी (RISK STRATEGY)
  • प्रोमोटर्स एंड मैनेजमेंट (PROMOTORS AND MANAGEMENT)
  • पास्ट फाईनैंशियल डेटा (PAST FINANCIAL DATA)

यें सभी जानकारी होती है. रैड हैरिंग प्रोस्पेक्टस सेबी (SEBI- SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) की वेबसाइट पर मिल जाता है. हर कंपनी को सेबी के सभी नियमों और शर्तों को मानना जरूरी होता है |

इनवेस्टिंग से पहले रखें कुछ बातों का ख्याल-

किसी भी तरह की इनवेस्टिंग से पहले कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए इनवेस्टिंग से पहले कंपनी की बाकी कंपनियों के साथ भी तुलना कर लेनी चाहिए.आईपीओ लाने वाली कंपनी के रैड हैरिंग प्रोस्पेक्टस को जरूर पढ़ना चाहिए |




FAQs IPO Kya Hai ? How To Invest IPO-IPO की पूरी जानकारी हिंदी में

आईपीओ कितने प्रकार के होते हैं?

आईपीओ के दो प्रकार होते हैं। पहला फिक्स्ड प्राइस आईपीओ और दूसरा बुक बिल्डिंग आईपीओ।

आईपीओ फुल फॉर्म इन हिंदी

आईपीओ फुल फॉर्म इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग हैं।

IPO full form in English

Initial public offering

Conclusion

मुझे आशा है की आपको लोगो को समझ आगया हो की  IPO Kya Hai , दोस्तों अगर आपको मेरा ये Article अच्छा लगा हो तो Share जरूर करे IPO Kya Hai  जिसे के बारे में सब लोगो के पास जानकारी पोहच साके ।  

अभी आपके मन में इसको लेकर कोई भी doubts हैं, या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं| आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा| यदि आपको मेरी यह अच्छा लगा  हो या इससे आपको कुछ सिखने को मिला हो, तब अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस Article  को Social Networks जैसे कि Facebook, Google+ और Twitter etc. पर Share कीजिये |

” IPO Kya Hai ”  को Article first to last पड़ने क लिए “Thanks you “

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