Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 – दीपावली भारतीय संस्कृति के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह अंधेरे से प्रकाश की ओर जीवन का सफर दर्शाता है। जिस प्रकार से इसे मनाया जाता है, वैसे ही इसकी पूजा भी बड़े श्रद्धा और आस्था से की जाती है।
लोग दीपावली की तैयारी पूरे महीने से शुरू कर देते हैं, जिसका आरंभ घर की साफ-सफाई से होता है। इसका मुख्य कारण लक्ष्मी पूजा है, क्योंकि मां लक्ष्मी स्वच्छता वाले स्थान में ही आश्रय लेती हैं।
त्यौहार की पौराणिक कथा से ही उसकी महत्वपूर्णता और चर्चा में रहता है। दीपावली के मनाने के पीछे भी अनेक प्राचीन कथाएं हैं जो इसे और भी विशेष बना देती हैं।
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 हिन्दू संस्कृति में शुभ मुहूर्त का विशेष स्थान है, और इसके बिना किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत नहीं होती। पूजा या किसी अन्य धार्मिक अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त ध्यान में रखकर ही उसकी शुरुआत होती है।
Contents
- 1 साल 2023 में दीपावली का शुभ मुहूर्त (Diwali/ Deepawali Festival Dates and Muhurt)
- 2 Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 – साल 2023 की दीपावली का शुभ मुहूर्त
- 3 दिवाली की पूजा के लिए चार मुहूर्त होते है
- 4 दिवाली क्यो हैं विशेष (Diwali Significance)
- 5 दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि (Diwali 2023 Lakshmi Puja)
- 6 दिवाली लक्ष्मी जी उपाय (diwali 2023 Upay)
- 7 दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि
- 8 दिवाली का इतिहास और महत्व
- 9 दीपावली के प्रतीक
साल 2023 में दीपावली का शुभ मुहूर्त (Diwali/ Deepawali Festival Dates and Muhurt)
दीपावली की तारीख 2023 में: | 12 नवंबर |
इसे किस दिन मनाया जाएगा: | सोमवार |
यह त्योहार किस-किस धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है: | हिंदू, सिख, जैन, और बौद्ध |
लक्ष्मी पूजा का शुभ समय: | प्रदोषकाल में |
शुभ तिथि की शुरुआत: | 12 नवंबर, 02:44 बजे दोपहर |
तिथि का समाप्त: |
13 नवंबर, 2:56 बजे दोपहर |
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Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 – साल 2023 की दीपावली का शुभ मुहूर्त
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 दीपावली के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है, जिसमें माँ लक्ष्मी की अराधना की जाती है। यह वह दिन है जब प्रत्येक व्यक्ति माँ से अपने परिवार की समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता है।
लोग घर को साफ सफाई से चमका देते हैं और दीपों से उसे रोशन करते हैं। लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त विशेष रूप से प्रदोष काल में होता है, जो सूर्यास्त के बाद आता है।
महानिशिता काल में जो लोग पूजा करते हैं, उनमें विशेष ज्ञान होता है पूजा-विधि का। लेकिन आम लोग आमतौर पर प्रदोष काल में ही लक्ष्मी पूजा करते हैं। पूजा का सबसे अच्छा समय माना जाता है जब लग्न स्थिर होता है।
इसका मान्यता यह है कि स्थिर लग्न में पूजा से माँ लक्ष्मी हमारे घर में स्थायी रूप से वास करती हैं। दीपावली में वृषभ लग्न इस स्थिर लग्न में आता है। यदि किसी कारण से किसी को इस समय पूजा नहीं कर पाते हैं, तो वह अन्य किसी भी समय में पूजा कर सकते हैं।
दिवाली की पूजा के लिए चार मुहूर्त होते है
वृश्चिक लग्न – दिवाली के दिन सुबह का समय इस लग्न का होता है। इस समय में प्रमुखतः मंदिर, अस्पताल, होटल, शैक्षिक संस्थाएँ अधिकतर पूजा आयोजित करते हैं। अनेक मनोरंजन और राजनीतिक व्यक्तित्व भी वृश्चिक लग्न में लक्ष्मी पूजा का आचरण करते हैं।
कुम्भ लग्न – यह दिवाली के दिन दोपहर को आता है। वे व्यक्ति जो स्वास्थ्य संकट में हों, या जिनका व्यापार में नुकसान हो रहा हो, वे इस समय पूजा करते हैं।
वृषभ लग्न – दिवाली के दिन शाम का यह समय लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
सिंह लग्न – यह समय दिवाली की रात के मध्य का होता है, जिस समय धार्मिक और तांत्रिक विद्याधर लक्ष्मी पूजा का आचरण करते हैं।
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दिवाली क्यो हैं विशेष (Diwali Significance)
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 दिवाली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे सुख और समृद्धि के संकेत के रूप में मनाया जाता है। हमारे धार्मिक पर्व अक्सर हमारे कृषि जीवन से जुड़े होते हैं। कार्तिक मास में जब खरीफ की फसलें पककर तैयार हो जाती हैं, तो किसान उसे काटते हैं।
इसी समय की उपज से किसान अपनी समृद्धि को देखते हैं, इसलिए दिवाली के पर्व को वे विशेष रूप से मनाते हैं।
लेकिन दिवाली का महत्व सिर्फ हिंदू धर्म के लिए ही नहीं है। सिख धर्म के अनुयायी भी इसे ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाते हैं। इसी दिन, सिखों के छठवें गुरु, गुरू हरगोबिंद सिंह जी को मुगल सम्राट जहांगीर की कैद से रिहाई मिली थी।
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 वे न केवल अपने आप को, बल्कि 52 राजाओं को भी मुक्ति दिलाई थी। इस खुशी में, अमृतसर नगरी को रोशनी से भर दिया गया था।
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि (Diwali 2023 Lakshmi Puja)
दिवाली पर लक्ष्मी जी की चौकी (Mata Ki Chowki): दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी जी की विशेष चौकी को तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। चौकी को उचित स्थान पर स्थापित करके उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी के केंद्र में चावल की थोड़ी मात्रा रखें।
कलश की प्रतिष्ठा (Kalash Sthapana): दिवाली पूजा में कलश की प्रतिष्ठा भी महत्वपूर्ण है। चावल के मध्य में तांबा, पीतल या चांदी का एक सुंदर कलश स्थापित करें, और इसमें पानी, गेंदे के फूल, चावल, एक सिक्का और सुपारी डालें। कलश के ऊपर आम के पत्ते और हल्दी की प्लेट रखें।
लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा (Diwali Laxmi Ganesh Murti): पूजा के दौरान, चौकी के केंद्रीय हिस्से में लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या चित्र को स्थान दें। मूर्तियों का स्थान कलश की दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। लक्ष्मी जी के सामने चावल और हल्दी से बने कमल के साथ एक थाली रखें, और चाँदी और सोने के आभूषण भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
दिवाली लक्ष्मी जी उपाय (diwali 2023 Upay)
हल्दी टीका लक्ष्मी जी के चरणों पर (Haldi Ka Tika): दिवाली के शुभ अवसर पर मान्यता है कि लक्ष्मी जी के चरणों पर हल्दी का टीका लगाने से मां की कृपा बढ़ती है और धन संबंधित चिंताओं से मुक्ति मिलती है। एक दीपक, जिसमें पांच बत्तियां हों, जलाएं और इसे पूजा की चौकी पर स्थापित करें।
लक्ष्मी मंत्र (Diwali 2023 Mantra): दिवाली पर लक्ष्मी जी की साधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस शुभ रात में परिवार के सभी सदस्य माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए चौकी के पास मिलकर बैठें। कलश की स्थापना करें और उस पर टीका लगाएं। फिर, संगीनीत माता के मंत्र का जाप करें जिससे आशीर्वाद और कृपा प्राप्त हो।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 दिवाली पर विधानुसार लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का महत्व है। इस शुभ अवसर पर, सबसे पहले कलश को संस्कारित करके तिलक लगाएं। फिर फूल और अक्षत लेकर गणेश जी और मां लक्ष्मी का स्मरण करें।
ध्यान के बाद, दोनों देवी-देवता की प्रतिमाओं पर फूल और चावल चढ़ाएं। उसके बाद, प्रतिमाओं को धूलकर उन्हें मिश्रित द्रव्यों से, जैसे दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान के बाद, उन्हें स्वच्छ जल से धोएं और वापस चौकी पर स्थानित करें।
इसके पश्चात, लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को श्रृंगारित करें, टीका लगाएं और उन्हें हार पहनाएं। उसके बाद, उनके सामने विविध प्रकार की प्रसाद, जैसे बताशे, मिठाइयां, फल, धन और गहनों का समर्पण करें। अंत में, सम्पूर्ण परिवार साथ मिलकर देवी-देवता की दिव्य कथा सुने और लक्ष्मी जी की आरती के गीत में मगन होकर उनकी उपासना करें।
दिवाली का इतिहास और महत्व
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 दिवाली का उत्सव भारत में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसकी उत्पत्ति का स्थायी रिकॉर्ड कहीं नहीं है।
हालांकि, इस त्योहार की विविध कथाएँ बुराई पर अच्छाई की प्रधानता को प्रकट करती हैं। यह कहना सही होगा कि भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार इसे मनाया जाता है।
भारत के उत्तरी हिस्से में इस दिन की पहचान भगवान राम के रावण पर विजय और उसके अयोध्या वापसी से संबंधित है। उस रात अमावस्या का चाँद नहीं दिखता था, इसलिए लोग दीये जलाकर उनका स्वागत करते हैं।
वहीं, दक्षिण भारत में यह त्योहार भगवान कृष्ण द्वारा दानव नरकासुर की पराजय के साथ जुड़ा है। उसी दिन, अनुसार भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विवाह भी हुआ था। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि देवी लक्ष्मी का जन्म इसी दिन, कार्तिक मास की अमावस्या पर हुआ था।
दीपावली के प्रतीक
Kab Hai Diwali Shubh Puja Muhurat 2023 दिवाली का त्योहार कई शुभ प्रतीकों और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इन प्रतीकों की गहराई में जानते हैं।
दीये: दिवाली के अवसर पर जलाए जाने वाले दीये अंधकार में प्रकाश और अज्ञान में ज्ञान की प्रतीक हैं। ये मिट्टी के दीये होते हैं जिसमें तेल या घी होता है।
रंगोली: यह कला सौभाग्य और शुभकामनाओं का प्रतीक है, जिसमें विभिन्न रंगों और सामग्रियों का इस्तेमाल करके फर्श पर अद्भुत डिजाइन बनाई जाती है।
आतिशबाज़ी: आतिशबाज़ी से त्योहार की खुशियों का माहौल बढ़ता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने और पोजिटिव वाइब्स फैलाने का मान्यता है।
लक्ष्मी पूजा: दिवाली को धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। उन्हें समृद्धि और आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत माना जाता है।
गणेश पूजा: गणेश जी को विघ्नहर्ता और शुभ आरंभ का प्रतीक माना जाता है। वे ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक हैं।
तोरण: तोरण, जो गेंदे के फूलों और आम के पत्तों से बनता है, समृद्धि और अच्छा भाग्य लाने के लिए प्रवेश द्वार पर सजाया जाता है।