करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?- क्या आपको पता है कि “करवा चौथ” का महत्व क्या है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस विषय में विस्तार से बताएंगे। हिन्दू संस्कृति में पतिव्रता की भावना को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और “करवा चौथ” इसी भावना का प्रतीक है।
इस दिन, पतिव्रता पत्नियाँ अपने पतियों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करने के लिए उपवास रखती हैं।
भारत में कई प्रांतों में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और उनके बीच के आभासी बंधन को मजबूती प्रदान करता है। इस पर्व के विशेषताओं और महत्व को जानकर आप भी अनुभव कर सकते हैं कि क्यों इसे इतना महत्व दिया जाता है। तो, चलिए जानते हैं “करवा चौथ” के पीछे की कथा और इसका धार्मिक महत्व।
Contents
- 1 करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? – क्या है करवा चौथ?
- 2 करवा चौथ के दिन किस देवी देवता की पूजा की जाती है?
- 3 करवा चौथ के इस पर्व को कब मनाया जाता है?
- 4 Karwa Chauth 2023 Date | करवा चौथ कब है
- 5 करवा चौथ की कहानी?
- 6 करवा चौथ क्यों मानते है?
- 7 करवा चौथ त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
- 8 करवा चौथ की विधि
- 9 करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? – करवा चौथ का महत्व
- 10 आज आपने क्या सीखा?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? – क्या है करवा चौथ?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? करवा चौथ, हिन्दू समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से उत्तरी और मध्य भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है।
यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर आया जाता है। शब्द ‘करवा चौथ’ दो अलग-अलग अर्थों से उत्तेजित होता है – ‘करवा’, जिसका अर्थ है मिट्टी की एक पात्र और ‘चौथ’ जो चतुर्थी तिथि को सूचित करता है। इस खास दिन पर, ‘करवा’ या मिट्टी की पात्र का विशेष स्थान है, जिसे पूजा का हिस्सा माना जाता है।
यह पर्व प्रमुखत: सुहागिन महिलाओं द्वारा आयोजित किया जाता है। इस व्रत की प्रारंभिक बेला सूर्योदय से पूर्व, प्रायः सुबह ४ बजे के आसपास होती है, और यह व्रत चंद्रमा की पहली झलक में रात को समाप्त होता है। इस विशेष दिन का महत्व पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना में है, जिसके लिए हिंदू महिलाएं हर साल इस व्रत को साक्षात्कार करती हैं।
इस व्रत के प्रतिष्ठान के अनुसार, स्त्रियाँ पूरे दिन जल और आहार से दूर रहती हैं। करवा चौथ वास्तव में पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का पर्व है, जिससे उनकी भावनाओं में गहराई और समझदारी आती है।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? आजकल, न केवल शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, बल्कि कई युवा कन्याएं भी अपने आने वाले जीवन संगी के लिए इस व्रत को आचरण में लाती हैं।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? व्रत का समय सुबह की पहली किरन से शुरू होकर रात्रि के चाँद की पहली जलक तक चलता है। और जब चाँद दिखाई देता है, तो स्त्रियाँ उसे अर्घ्य देती हैं और अपने पति से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
नाम: | करवा चौथ |
तारीख: | 01 नवंबर 2023 |
उपनाम: | – |
समय का आरंभ: | कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर |
महत्वपूर्ण तिथि: | इस साल, 31 अक्टूबर 2023 को करवा चौथ का पूजा का समय है। इस दिन का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 से 6:50 तक है। |
मुख्य उद्देश्य: | पति की दीर्घायु की कामना के लिए विवाहित महिलाओं द्वारा व्रत |
अनुयायी: |
शादीशुदा हिंदू स्त्रियाँ, और कभी-कभार कुंवारी स्त्रियाँ भी। |
करवा चौथ के दिन किस देवी देवता की पूजा की जाती है?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? इस खास अवसर पर महिलाएं भगवान गणेश और माता चतुर्थी की पूजा-अर्चना को समर्पित करती हैं।
करवा चौथ के इस पर्व को कब मनाया जाता है?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ का पर्व सम्पन्न होता है। यही नहीं, 2023 में यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जा चुका है, जबकि अगले साल, यानी 2024 में, यह पर्व 4 नवंबर को आएगा।
हर पर्व के पीछे किसी न किसी धार्मिक कथा का संबंध होता है, और इसी प्रकार करवा चौथ के पीछे भी एक प्राचीन कथा है। चलिए, जानते हैं करवा चौथ के इस विशेष पर्व की महत्वपूर्ण कथा के बारे में।
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Karwa Chauth 2023 Date | करवा चौथ कब है
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? 2023 में करवा चौथ की प्रतीक्षा कर रहे सभी व्रतिनियों के लिए अच्छी खबर है की यह पर्व 01 नवंबर, बुधवार को आ रहा है।
अनुसार हिंदू पंचांग, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर रात 9:30 पर शुरू होगी और 1 नवंबर रात 9:19 पर समाप्त होगी।
शुभ समय जानकारी देते हुए, करवा चौथ व्रत का मुहूर्त 1 नवंबर को सुबह 6:36 से रात 8:26 तक है और पूजन का सही समय शाम 5:44 से रात 7:02 तक है। चंद्रमा का उदय रात 8:26 पर होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि व्रतिनियाँ चाँद को देखकर ही अपना व्रत खोलें।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
करवा चौथ का उपवास समय: | 01 नवंबर, सुबह 06:36 से रात 08:26 तक। |
पूजा का शुभ मुहूर्त: | शाम 05:44 से रात 07:02, कुल समय – 1 घंटा 17 मिनट। |
चंद्रमा का दर्शन: | 1 नवंबर 2023, रात 08:26 पर। |
करवा चौथ की कहानी?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? करवा चौथ की प्राचीन कहानी को अगर हम देखें, तो वह वीरावती नामक राजकुमारी के आसपास घूमती है। वीरावती, जिसके पास सात भाई थे, सभी ने अपनी बहन का बहुत ख्याल रखा। जब वह बड़ी हुई, तो उसकी शादी एक युवा राजकुमार से हो गई।
शादी के बाद, पति की लंबी आयु की कामना के लिए, वीरावती अपने पुराने घर वापस जाती है और करवा चौथ का व्रत रखती है। लेकिन उसकी कमजोरी के चलते, चाँद दिखने से पहले ही वह भूख और प्यास से बेहोश हो जाती है। इस परिस्थिति को देखकर, उसके भाई चिंतित हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें अपनी बहन का व्रत तोड़ना चाहिए।
करवा चौथ की परंपराओं में एक प्रमुख कहानी वीरावती की है। प्राचीन काल में, एक राजकुमारी वीरावती थी जिसे उसके सात भाइयों से बहुत प्यार था। शादी के बाद, जब वह अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लौटी, तो उसकी भूख और कमजोरी के कारण उसे भूख लगी।
उसके छोटे भाई ने फिर एक चालबाजी की और उसे धोखा देकर बताया कि चाँद आ चुका है। वीरावती ने अपनी भूख को शांत करने के लिए भोजन ग्रहण किया, लेकिन जल्द ही उसे समझ में आया कि उसे धोखा दिया गया है और उसके पति की मौत हो गई है।
वीरावती का दुःख और पछतावा जब पर्वतीय देवी इंद्राणी के पास पहुंचा, तो देवी ने उसे समझाया कि उसने अपने व्रत को ध्यानपूर्वक नहीं रखा, जिसके परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हुई।
देवी इंद्राणी ने वीरावती को सुझाव दिया कि वह प्रतिमास की चौथी को भी व्रत रखे, जिससे उसके पति को पुनः जीवन मिल सके।
वीरावती ने देवी की बातों का पालन किया और निरंतर प्रयास और आस्था से व्रत रखा। इसका परिणाम यह हुआ कि वह अपने पति को पुनः प्राप्त कर सकी। इस कथा के माध्यम से, करवा चौथ के व्रत की महत्वपूर्णता और पत्नी के पति के प्रति समर्पण और प्रेम को दर्शाया गया है।
करवा चौथ क्यों मानते है?
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण है, चूंकि इस दिन वे अपने पतियों की दीर्घायु के लिए उपवास करती हैं। मान्यता है कि जो महिला इस व्रत को पूरी आस्था और समर्पण से रखती है, उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
यह त्योहार पति-पत्नी के बीच के अदृश्य बंधन, स्नेह और आत्म-विश्वास की गहरी भावनाओं को प्रकट करता है। करवा चौथ न केवल एक पारंपरिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पति-पत्नी के प्यार और समर्थन का सजीव संकेत भी है।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? इसलिए, इस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य पति-पत्नी के बीच के रिश्ते की मजबूती और आपसी विश्वास को मजबूत करना है।
करवा चौथ त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए अद्वितीय एवं महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दिन वे अपने पतियों के जीवन की दीर्घायु की कामना के लिए उपवास करती हैं। महिलाएं इस दिन सजवट और श्रृंगार में विशेष ध्यान देती हैं। उनके हाथों में मेहंदी के सुंदर आकृतियाँ, कला और चूड़ीयाँ उनकी सुहागिनता की प्रतीक होती हैं।
उपवास की प्रारंभिक तैयारी में, प्रातःकाल महिलाएं एक खास प्रकार का नाश्ता, जिसे ‘सरगी’ कहते हैं, ग्रहण करती हैं। सरगी में कई प्रकार के पोषक फल शामिल होते हैं, जो उन्हें दिनभर के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? जब सूर्य उदय होता है, महिलाएं उपवास का संकल्प लेती हैं, और सूर्यास्त से पूर्व उन्हें ना केवल भोजन से, बल्कि पानी से भी परहेज करना होता है।
अंधेरे में, जब चंद्रमा आकाश में प्रकाशित होता है, महिलाएं उसे चलनी के माध्यम से देखती हैं, उसे अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पतियों के हाथों से पानी पीती हैं, जिससे व्रत समाप्त होता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पति-पत्नी के बीच के अदृश्य बंधन की मजबूती और प्रेम को प्रकट करती है।
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करवा चौथ की विधि
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? व्रत के पावन दिन, सूर्योदय से पहले स्नान कर उस स्थान पर खड़ा हों जहाँ आप व्रत रखने का संकल्प लेने जा रहे हैं।
फिर ध्यान में अपनी सुख-समृद्धि, पुत्र-पौत्र की दीर्घायु और परिवार की सुखशांति की कामना करते हुए, चतुर्थी व्रत का संकल्प लें।
- व्रत के प्रसंग में आपको पूरे दिन निर्जल रहना होगा।
- जब शाम होती है, तो मंदिर में जाकर भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की पूजा करें।
- माता पार्वती को सुहाग की प्रतीक समझते हुए, उन्हें उनकी मूर्ति या फोटो में विभिन्न श्रृंगार सामग्री से अलंकृत करें।
- इसके बाद, आत्मा में एक विशेष भाव लेते हुए, माता पार्वती को स्मरण करें।
- उस समय सभी सुहागिन महिलाओं को व्रत की प्राचीन कथा का पाठ सुनाना चाहिए।
- जब रात का समय आता है और आकाश में चंद्रमा प्रकाशित होता है, तभी पति के हाथ से पावन जल का पान करें।
- अखिर में, अपने पति, सास-ससुर, और अन्य परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त कर, इस पावन व्रत को समाप्त करें।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? – करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? भारतीय संस्कृति में करवा चौथ विशेष त्योहार है जिसे पति की लंबी उम्र की कामना में सुहागन महिलाएं प्रतिवर्ष मनाती हैं। इसे मुख्यत: दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और अन्य भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है।
करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? यह पर्व पति के स्वास्थ्य और अच्छी जीवन की प्रार्थना में मनाया जाता है। सबसे अद्वितीय बात यह है कि इसे हर वर्ण, जाति और आयु की महिला बिना किसी असमानता के मना सकती है।
आमतौर पर महिलाएं इस व्रत को 12 से 16 वर्ष तक रखती हैं, हालांकि कुछ महिलाएं अधिक समय तक इसे रखती हैं। 12 या 16 वर्षों के बाद, महिलाएं इस व्रत का उद्यापन कर सकती हैं।
संग्रहित रूप से, करवा चौथ सुहागन महिला के लिए एक विशेष और महत्वपूर्ण दिन होता है, जिससे वह अपने पति के लिए प्रेम और अभिप्रेता व्यक्त करती है। इसलिए, इस त्योहार की तैयारी महिलाएं कई दिन पहले से शुरू कर देती हैं।
आज आपने क्या सीखा?
मुझे आशा है कि आपको मेरा लेख करवा चौथ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? पर काफी पसंद आया होगा। मेरा प्रयास हमेशा यह रहता है कि पाठकों को करवा चौथ के विषय में सम्पूर्ण और सही जानकारी प्रदान की जाए, ताकि उन्हें अन्य जगह खोजने की आवश्यकता न हो।
इससे पाठकों का समय भी बचता है और वे एक ही स्थान पर सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपके मन में इस लेख से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है, तो आप नीचे टिप्पणी में जरूर लिखें।
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