Thursday, December 7, 2023
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Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 : नरक चतुर्दशी को छोटी द‍िवाली क्यों मनाते है?

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 – क्या आपको मालूम है कि Choti Diwali का त्योहार किस कारण मनाया जाता है? अगर आप अनभिज्ञ हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको इसके पीछे की कथा और महत्व बताएंगे। भारत में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें दीपावली विशेष रूप से प्रमुख है।

यह त्योहार ‘दीपों का उत्सव’ या ‘रोशनी का पर्व’ के रूप में भी जाना जाता है।

इस त्योहार का संदेश है अच्छाई की बुराई पर विजय, और प्रकाश की अंधकार पर विजय। दीपावली के अवसर पर, लोग देवी लक्ष्मी की अराधना करते हैं, परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं, और मिठाइयों को साझा करते हैं।



जब यह पाँच दिन का महोत्सव होता है, तो इसी महोत्सव का हिस्सा छोटी दीपावली भी है, जिसे लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

आपको जानकर अच्छा लगेगा कि धनतेरस और मुख्य दीपावली के बीच में आने वाला दिन ‘छोटी दिवाली’ के नाम से माना जाता है। यह दिन नरक चतुर्दशी अथवा रूप चतुर्दशी के नाम से भी प्रसिद्ध है।

इस खास दिन पर, लोग अपने घरों को उज्ज्वल रूप में सजाते हैं, जैसे कि वे बड़े त्योहार की पूर्व संध्या मना रहे हों। छोटी दिवाली से जुड़ी हुई विविध कथाएँ हैं, जिन्हें हम अब विस्तार से जानेंगे। चलिए, बिना समय गवाए, जानते हैं छोटी दिवाली का असली महत्व।

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 – छोटी दिवाली क्या है?

नरक चतुर्दशी को लोग ‘छोटी दिवाली’ के रूप में भी जानते हैं। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने के 14 वें दिन पर मनाया जाता है। यह त्योहार अंधेरे पर प्रकाश की प्रतीक है और इस दिन पूर्वजों की स्मृति में उपवास भी किया जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन अंधेरे के बीच उज्ज्वलता फैलाने की भावना होती है, इसलिए इसे ‘राक्षसों की रात’ कहा जाता है। इस नाम का संदेश यह है कि हर अंधकार को उसके सामने रोशनी के प्रकाश से हराया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे अच्छाई बुराई को परास्त कर सकती है।

नाम नरक चतुर्दशी
अन्य नाम छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी, काली चतुर्दशी
आरम्भ रामायण काल से
तिथि अश्विनी मास (अमांता) / कार्तिक मास (पूर्णिमांत), कृष्ण पक्ष, चतुर्द: तिथि
उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव
अनुयायी हिंदू
पालन फसल उत्सव के रूप में दिवाली की उत्पत्ति
आवृत्ति सालाना
तारीख 24 अक्टूबर

Narak Chaturdashi 2023: Date, Time & Significance - GaneshaSpeaks

छोटी दिवाली क्यों मनाया जाता है?

आइए, अब हम जानते हैं कि उस खास दिन को हम ‘छोटी दिवाली’ क्यों कहते हैं और इसके पीछे की परंपराएं और कथाएं क्या हैं। नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली के महत्व के पीछे विभिन्न कथाएं मौजूद हैं, जिनमें से कुछ हम आपको बता रहे हैं।

भगवान कृष्ण और नरकासुर की कहानी

एक प्राचीन कथा के अनुसार, दानव नरकासुर, प्रागज्योतिषपुर के सम्राट थे, और उन्होंने अनेक देवताओं को पराजित किया था। उसने अनेक राजाओं की क़रीब 16,000 राजकुमारियों को भी अपने अधिकार में ले लिया था। Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023  उसने यहाँ तक देवी-देवताओं की माँ, अदिति, से उनके मौलिक आभूषण भी चुरा लिए थे।



Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 इसी संघर्ष में, श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मार दिया और सभी राजकुमारियों को मुक्ति दिलाई। श्रीकृष्ण ने देवी अदिति के आभूषण भी लौटाये। श्रीकृष्ण की इस महावीरता को मनाते हुए ही छोटी दिवाली को विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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भगवान विष्णु और महाराज बलि की कहानी

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 छोटी दिवाली, जिसे बाली प्रतिपदा भी कहा जाता है, धनतेरस के अगले दिन और बड़ी दिवाली से पहले के दिन मनाई जाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नामक एक शक्तिशाली दानव था जिसने तीनों लोकों पर अपनी प्रभुता स्थापित की थी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके उसे पराजित किया। जब विष्णु ने अपने विशाल रूप में तीन कदमों से पूरी पृथ्वी को कवर किया, तब बाली ने उसे अपने माथे पर तीसरा कदम रखने के लिए कहा।

यह त्योहार अच्छाई की प्रतीक है, जो बुराई पर विजयी होती है।Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023  इसलिए, छोटी दिवाली को अधिक गहरे अर्थ में मनाया जाता है, जहां लोग अच्छाई, आशा और समृद्धि की प्रतीक्षा करते हैं।

इस दिन की महत्वपूर्णता से जुड़ी इस कथा को समझकर लोग अपनी सामर्थ्य को समझते हैं और जीवन में सही मार्ग पर चलते हैं।

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भगवान विष्णु और महाराज रति देव की कहानी

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, रति देव नामक राजा था जिसने कभी भी पाप कार्य नहीं किया था। लेकिन जब वह स्वर्गवासी हुए, तो यमदूत उसे नरक ले जाने आए। वह हैरान हो गया और पूछा, “मैंने कौन सा पाप किया है?” यमदूत ने जवाब दिया कि वह एक भूखे ब्राह्मण को बिना खाना खिलाए वापस भेज दिया था।

रति देव ने उनसे कुछ समय की गुजारिश की और उसे मिला भी। वह अपने राज्य में वापस आकर ऋषियों से उपाय पूछा। एक महर्षि ने सुझाव दिया कि वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपवास रखे और ब्राह्मणों को भोजन प्रदान करे।

राजा ने उस सलाह को मानते हुए उपवास रखा और ब्राह्मणों को भोजन परोसा।Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023  इस परिणाम स्वरूप, जब यमदूत पुनः आए, तो उन्होंने रति देव को नरक नहीं, बल्कि विष्णु लोक में स्थान दिया। इस कथा की प्रेरणा से आज भी लोग इस दिन उपवास रखते हैं और जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करते हैं।

भगवान विष्णु और योगिराज की कहानी

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, हिरणनगर नामक राज्य में योगीराज नामक एक साधु प्रतिष्ठित थे। वह अपनी निरंतर तपस्या और उपवास से भगवान की उपासना करते थे। इस निरंतर साधना के कारण, उनका शरीर कमजोर और अस्वस्थ हो गया था।




जब भगवान नारद इस दृश्य को देखे, वे योगीराज के पास गए और उसकी पीड़ा का कारण जानने की कोशिश की। योगीराज ने अपनी तपस्या की कठिनाइयों के बारे में बताया। नारद जी ने उससे कहा कि भले ही उसकी भावनाएं उचित थीं, लेकिन वह शरीर की सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया था।

उन्होंने सलाह दी कि यदि वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर व्रत रखे, तो उसे पुनः स्वास्थ्य और शक्ति प्राप्त हो सकती है। Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 योगीराज ने उनकी बातों का पालन किया और अंततः वह स्वस्थ और ऊर्जावान हो गए।

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छोटी दीपावली (Narak Chaturdashi) 2023 Date & Timings

Date of Choti Diwali (Narak Chaturdashi) 23rd October 2022
Narak Chaturdashi Begins 07:29 AM on Nov 23, 2022
Narak Chaturdashi Ends 04:47 AM on Nov 24, 2022

आज आपने क्या सीखा

मुझे आशा है कि आपको मेरा यह लेख ‘Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023’ पर पसंद आया होगा। मैं हमेशा यही प्रयास करता हूँ कि पाठकों को छोटी दीपावली के बारे में संपूर्ण और सही जानकारी प्रदान की जाए, ताकि उन्हें अन्य वेबसाइट्स पर जाकर जानकारी तलाशने की आवश्यकता न हो।

Naraka Chaturdashi Choti diwali 2023 इससे पाठकों का समय भी बचता है और उन्हें सभी माहिती एक ही स्थल पर प्राप्त होती है। अगर आपके पास इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न या सुझाव है, तो आप निचे टिप्पणी में लिख सकते हैं।

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