रमजान महीने से जुड़े खास रोचक तथ्य, 

 शायद ही आपको पता होगा।

इस्लाम धर्म में रमज़ान का मुबारक महीना शाबान के महीने के बाद आता है और इस महीने का तमाम मुसलमान बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।

मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि रमज़ान के महीने में अगर सच्चे और पाक दिल से दुआ मांगी जाती है, तो अल्लाह तमाम दुआएं कुबूल करता है।

रमज़ान क्या है?  इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमज़ान एक महीने का नाम है, जो शाबान के महीने के बाद आता है। इस्लामिक कैलेंडर में यह महीना आठ महीने के बाद यानि नौवें नंबर पर आता है 

 दिलचस्प बात यह है कि महीने की तारीख हर साल चांद के हिसाब से बदलती रहती है। हालांकि, सबसे पहले सऊदी अरब में रमज़ान या फिर ईद का चांद नजर आता है।  

अगर हम रमज़ान के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो रमज़ान एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है 'जलाने के' यानि इस महीने में लोगों के तमाम गुनाह जल जाते हैं।  

 इसलिए रमज़ान के पूरे महीने तमाम मुस्लिम लोग रोज़ा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।  

रमज़ान के महीने में सभी मुसलमानों पर रोज़ा रखना फर्ज़ है लेकिन मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार लोग 7 से 8 साल की उम्र के बाद रोज़ा रखना शुरू करते हैं।   

रोज़ा रखने के लिए सभी लोग सहरी (फजर की अज़ान से पहले) से लेकर शाम यानि इफ्तार तक भूखे रहते हैं और न कुछ खाते हैं न पानी पीते हैं।     

कई लोगों को रोज़ा न रखने की छूट भी दी गई है जैसे- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बच्चे और शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति आदि शामिल हैं।  

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यह करने से रमजान के रोज़ो में ला सकते प्यास से काबू।